श्री शिवमहापुराण कथा : धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष शास्त्रों में बताए गए 4 पुरुषार्थ, सभी आवश्यक – शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद

दिनेश दुबे 9425523689
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*श्री शिवमहापुराण कथा : धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष शास्त्रों में बताए गए 4 पुरुषार्थ, सभी आवश्यक – शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद:
सलधा/ बेमेतरा/ छत्तीशगढ़। परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज ‘1008’ जी महाराज के मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने बताया पूज्यपाद शंकराचार्य जी मंगलवार प्रातः भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजार्चन पश्चात भक्तो को दिव्य दर्शन दिए एवं भक्तो को चरणोदक प्रसाद दिए ततपश्चात दूर दूर से आए भक्तो के धर्म सम्बंधित जिज्ञासाओं को दूर किए।
*प्रातः 8:30 बजे शिवगंगा आश्रम सपाद से  ग्राम सेमरिया पहुँचे जहा लीला बिलास पटेल एवं समस्त ग्रामवासी, ग्राम कातलबोर्ड में उड़ेस पटेल एवं समस्त ग्रामवासी, ग्राम हथमुडी में धन्नू लाल पटेल एवं समस्त ग्रामवासी एवं ग्राम श्यामपुर कापा में सतीश वैष्णव एवं समस्त ग्रामवासी द्वारा पदुकापुजन सम्पन्न एवं भक्तो को दर्शन सहित आशिवर्चन दिए ततपश्चात 11 बजे पुनः शिवगंगा आश्रम हेतु प्रस्थान किए।
*दोपहर 3 बजे जगद्गुरु शंकराचार्य शिवगंगा आश्रम से कथा स्थल पहुँचे जहा यजमान व सलधा वासियो ने सामुहिक रूप से पादुकापुजन पूजन किए। परम्परा अनुसार परमहंसी से पधारे आचार्य राजेन्द्र शास्त्री  द्वारा बिरुदावली का बखान किया गया ततपश्चात शंकराचार्य ने राम संकीर्तन करा तृतीय दिवस के शिवमहापुराण कथा का श्रवण कराना प्रारम्भ किए।
*श्री शिव महापुराण कथा के प्रारंभ में शंकराचार्य महाराज ने कहा कि धर्म अर्थ काम मोक्ष यह चार पुरुषार्थ हमारे शास्त्रों में बताए गए हैं। यह कहा गया है धर्म अर्थ काम मोक्ष यह 4 पुरुषार्थ है माने हम इन्हीं चार चीजों की इच्छा करते हैं। इन में से एक भी इच्छा यदि हमारे मन में ना जागे, तो समझना चाहिए हमारा जन्म बकरी के गले में लटकने वाले स्तन के जैसी है। आप लोगों ने बकरी को देखा होगा जानते होंगे कि बकरी के गले में एक स्तन जैसी चीज लटकती तो है, लेकिन यदि उसको पकड़ दुहा जाए, तो उसमें से दूध नहीं निकलने वाला। देखने के लिए स्तन जैसा, लेकिन उसमें से कभी भी दूध नही निकलता नहीं है।
*तो ऐसे ही हमारा जो जन्म है, वह भी तात्पर्य हिन समझा जाएगा यदि 4 पुरुषार्थ में से एक भी पुरुषार्थ हमारे जीवन में सम्मिलित नहीं हुआ। वैसे तो चारों होना चाहिए और इन चारों पुरुषार्थ हमें तीन पुरुषार्थ तो ऐसे हैं जो चौथे के लिए माने गए हैं और वह पुरुषार्थ क्या है वह है मोक्ष यानी मुक्ति तो प्रश्न यह उठता है कि मुक्ति को परम पुरुषार्थ क्यों कहा गया है। शिव महापुराण बताता है कि इसीलिए क्योंकि आप बंधे हुए हैं, जो बंधा हुआ वह मुक्त होना चाहता है अब आप कहेंगे कि हम कहां बंधे हुए हैं? हमने तो कोई बंधन स्वीकार नहीं किया है, लेकिन सच्चाई यही है कि हमारे ऊपर बंधन है तो यह बंधन क्या है और मोक्ष क्या है यह समझ लेने की आवश्यकता है।
*मोक्ष तब तक आपको समझ में नहीं आएगा जब तक बंधन समझ में नहीं आएगा, जब बंधन समझ में आ जाएगा। तब मोक्ष की इच्छा आपको जागेगी, जब आपको यह समझ में आएगा कि मैं तो बंधन में हूं तो प्रश्न हुआ। ऋषियों ने पूछा कि महाराज यह मुक्ति मुक्ति की बात की जाती है मुक्ति तो उसकी होती है, जो बंधन में हो तो हम कौन से बंधन में हैं, जिसके लिए हम को मुक्ति की जरूरत बताई जा रही है तो सूत जी महाराज बता रहे हैं यह जो जीव है यह 8 बंधनों से बंधा हुआ है। वह बंधन कौन से हैं प्रकृति से लेकर के और 7 जितने भी आत्मा है। उसका आत्मत्व समाप्त नहीं होता लेकिन विश्लेषण बदल जाता है विश्लेषण क्या बदल गया, जब बंधन में नहीं है, तो परमात्मा व जब बंधन में बंध गया तब जीवात्मा।
*यहां अंतर हो जाता, अच्छा यह बताइए बंधन से क्या मुख्य फल होता है। अगर कोई बंध जाए तो मुख्य फल क्या है तो आप कहेंगे मुख्य फल यही है कि फिर वह, जहां चाहे वहां जा नहीं सकता हैं, जितनी दूरी में उसको बांध दिया गया है उतनी दूर में उसको रहना पड़ेगा व बंधन दो तरह से जाता है। एक तो शरीर को ही बांध दिया और एक शरीर को नहीं बांधा शरीर को खुला रखा, तो घेरा में बांध दिया। बॉडी बना दिया जैसे जेल में पहले हथकड़ी में बांधकर ले जाते थे और फिर जेल का कमरे उसमें डाल कर के हथकड़ी खोल देते हैं लेकिन जिस भी कमरे में आपको भेजा गया। उस कमरे का ताला बंद कर देते तो दो तरह से बंधन हो गया एक हथकड़ी बेड़ी का बंधन और एक हथकड़ी बड़ी तो नहीं लेकिन ताला लगा दिया गया है।
*तृतीय दिवस कथा विश्राम पश्चात संगीतमय शिव जी की आरती कर सभी ने प्रसाद ग्रहण किया।
*आजके कथा श्रवण करने विशेष रूप से रविन्द्र चौबे कृषि मंत्री छत्तीशगढ़ शासन, आशीष छाबड़ा विधायक बेमेतरा, चन्द्रप्रकाश उपाध्याय सीईओ ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम हिमालय,मनोज शर्मा, ललित विश्वकर्मा, दिलेश्वर साहू, रवि गुप्ता, सन्तोष सिंह राजपूत, मनोज बक्शी, सन्तोष हनुमंता, गिरिराज दास वैष्णव, उमंग पांडे,  बंटी तिवारी, सन्तोष दुबे अयोध्या, सी एम श्रीवास्तव, रजनीकांत पांडेय, राहुल गुप्ता, राजू पांडेय, डी पी तिवारी, गौतम जैन, महेंद्र वर्मा, बंशी पटेल , ब्रह्मचारी केशवानंद, ब्रह्मचारी योगानंद, ब्रह्मचारी हृदयानंद, ब्रह्मचारी परमात्मानंद, निखिल तिवारी, कृष्णा परासर, राम दीक्षित, योगी , दीपक सहित हज़ारो के संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।

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